Karnaram Bheel Jaisalmer Biography in hindi | करनाराम भील की जीवनी

karnaram bheel jaisalmer biography in hindi | करनाराम भील की जीवनी
karnaram bheel jaisalmer biography in hindi | करनाराम भील की जीवनी

करनाराम भील (Karnaram Bheel) कौन थे और राजस्थान में क्यों प्रसिद्ध थे?

करनाराम भील (Karnaram Bheel) की कहानी आज भी राजस्थान जैसलमेर के हर व्यक्ति को याद है। 2 जनवरी 1988 को करनाराम भील के साथ जो घटना घटी वह दिल दहला देने वाली थी जिसे याद करके आज भी लोगों की रूह कांप जाते हैं। जो लोग करनाराम भील के बारे में अच्छे से नहीं जानते उन्हें करनाराम भील के बारे में जानने की बहुत जिज्ञासा होती है।

करनाराम भील (Karnaram Bheel) – दि डेज़र्ट किंग (the Desert King)

करनाराम भील (Karnaram Bheel) सावला शरीर, लंबे कद काठी, भरा हुआ चेहरा, चेहरे पर जलेबीदार बड़ी-बड़ी मूछें, बड़ी-बड़ी लाल आंखों में सुरमा आंखों को और भी रौबदार बना देता, बड़े से सर पर जैसलमेरीया साफा और साफे के अंदर श्री कृष्ण भगवान की तस्वीर और तस्वीर के ऊपर मोर पंख हमेशा सजा हुआ रहता था

जिनको देखकर बच्चे तो क्या अच्छा खासा जवान आदमी भी सहम जाता था। करनाराम भील अपनी काख में दबाकर जुट वाले नारियल को चूर चूर कर देते थे। वो अपने कंधे पर एक ऊंट को उठा कर चलने का दम रखते थे। करनाराम भील जैसलमेर से रातों-रात बॉर्डर पार करके पाकिस्तान चले जाते और दूसरी रात वापस जैसलमेर आ जाते थे।

करनाराम भील (Karnaram Bheel) कौन थे और राजस्थान में क्यों प्रसिद्ध थे?
करनाराम भील (Karnaram Bheel) कौन थे और राजस्थान में क्यों प्रसिद्ध थे?

करनाराम भील (Karnaram Bheel) गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

एक बार जब वह जैसलमेर जेल में कैद थे उस दौरान उन्होंने अपने नाखूनों से जैसलमेर जेल की दीवार को खुरच कर पत्थर निकाल लिए और वहां से फरार हो गए थेकरनाराम भील अपनी लंबी मूछों के कारण विश्व विख्यात थे। और उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सुनहरे अक्षरों में अंकित है।

करनाराम भील (Karnaram Bheel) नड़ वादन

करनाराम भील (Karnaram Bheel) नड़ वादन (एक प्रकार का वाद्य यंत्र) के कारण संगीत जगत में भी काफी मशहूर हस्ती थे। नड़ वादन की उन्होंने कहीं से औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी वह स्वयं सीखिया उस्ताद थे। इन्होंने नड़ वादन भी अपनी प्रेमिका लाली को रिझाने के लिए सिखा था

राजस्थान के जैसलमेर में एक सोनार का किला है जहां पर आज उस किले के पास रेत के टीलों के बीच करणाराम की कब्र बनी है। जब करनाराम भील जिंदा थे तब उस वक्त वह इस किले की शान हुआ करता थे

करनाराम भील (Karnaram Bheel) की हत्या

लेकिन 2 जनवरी साल 1988 में जब कुछ दुश्मनों ने उसकी हत्या बहुत ही दर्दनाक और भयानक तरीके से कर दी। अचरज की बात तो यह है कि जिन दुश्मनों ने करनाराम भील की हत्या कर वे करनाराम भील के सर को काट कर पाकिस्तान ले गए और आज तक करनाराम भील का परिवार उसके सर का इंतजार कर रहा है कि कभी तो उसका सर लौटाया जाएगा। सिर न मिलने के कारण आज तक उनके परिवार ने उसका दाह संस्कार नहीं किया है।

कहा जाता है कि जिस दिन करनाराम भील की हत्या होने वाली थी उस दिन वह अपने ऊंट गाड़ी पर बैठकर अपने मवेशियों के लिए चारा लेकर वापस घर जा रहा थे की जैसे ही वह सोनार किले के पास पहुंचते है वैसे ही कुछ दुश्मन उस पर अचानक से हमला करते हैं और उसके सर को काटकर उसकी हत्या कर देते हैं।

इतना ही नहीं बल्कि दुश्मन उसके सर को अपने साथ ले जाते हैं और उसके शरीर को ऊंट गाड़ी पर ही छोड़ देते हैं। ऊंट गाड़ी पर करनाराम भील का शरीर लेकर ऊंट उसके घर तक पहुंच जाता है। जैसे ही यह मंजर उसके परिवार वाले देखते हैं वह तो सदमे में चल जाते हैं। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए ही बल्कि पूरे गांव के लिए दिल दहला देने वाली थी।

इतने भयानक तरीके से करनाराम भील की हत्या को देख आज तक उसका परिवार उस मंजर को भूल नहीं पाया है। उस वक्त उसके परिवार वालों ने उसके सर को ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन उसका सर नहीं मिला। उसके बाद उसके परिवार वाले उसकी शरीर को सौनार किले के पास दफना देते हैं। हालांकि आज तक उसके सर का इंतजार किया जा रहा है कि शायद कभी करनाराम भील का सर मिल जाए ताकि उसका अंतिम संस्कार कर सके।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि करनाराम भील (Karnaram Bheel) की हत्या 2 जनवरी 1988 को 3 से 4 बजे के बीच में हुई थी और उसकी हत्या करने वालों में चार लोग शामिल थे। जिसमें कायम जो पाकिस्तान के सत्तू का रहने वाला था दूसरा मेहराब खान, तीसरा हुसैन जो जैसलमेर के पिथोदई का रहने वाला था और चौथा रेदमल।

यह घटना करनाराम भील के साथ इसलिए हुई क्योंकि डकैत होने के कारण करनाराम भील ने साल 1975 में किसी इलियास की हत्या की थी। पुलिस का कहना है कि आरोपी कायम उसी इलियासा का बेटा था इसीलिए उसने अपने बाप की हत्या का बदला लेने के लिए करनाराम भील को मार डाला।

हालांकि आज भी वहां के पुलिस थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज है। पुलिस का कहना है कि चारों आरोपी पाकिस्तान भाग चुके हैं। और उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण संधि ना होने की वजह से आरोपियों को भारत नहीं लाया जा सका है।

करनाराम भील के पुत्र बुधराम का कहना है कि करनाराम भील का दाह संस्कार करने के लिए उसके परिवार को आज भी उसके पिता के सिर का इंतजार है। वह कहता है कि उसके पिता बहुत अच्छा नड़ बजाया करते थे।

वह यह भी कहता है कि साल 1982 में जब करनाराम भील जेल से पैरोल पर बाहर आये थे तब उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जेल सिंह खासकर उसका संगीत सुनने के लिए जैसलमेर आए थे और उन्होंने ही करनाराम भील की सजा भी माफ कर दी थी।

FAQ On करनाराम भील (Karnaram Bheel)

करनाराम भील की हत्या 2 जनवरी 1988 को की थी।

करनाराम भील जैसलमेर (राजस्थान) के रहने वाले थे।

करनाराम भील की हत्या का कारण पुरानी रंजिश थी।

करनाराम भील नड़ वाद्य यंत्र के प्रसिद्ध वादक थे।

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