राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) का गौरवशाली इतिहास

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राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) का गौरवशाली इतिहास
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1 राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) का परिचय एवं वंशज
1.1 राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) द्वारा बांसवाड़ा नगर की स्थापना :-

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) का परिचय एवं वंशज

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) राजस्थान के प्रतापी शासक थे जिन्हें बांसवाडा शहर के स्थापक के रूप में जाना जाता है। बांसवाड़ा राजस्थान का दक्षिणी भाग में स्थित एक शहर है जो गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है।7 बांसवाड़ा को सौ द्वीपों का नगर भी कहा जाता है क्योंकि यहां से गुजरने वाली माही नदी जिसमें बहुत सारे द्वीप है।

राजा बांसिया भील को वाहिया भील के नाम से भी जाना जाता है। राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) राजा अमरा चरपोटा (Raja Amara Charpota Bheel) के पुत्र थे। राजा अमरा चरपोटा भील, राजा बिया चरपोटा भील (Biya Charpota Bheel) के पुत्र थे। जिन्होंने चित्तौड़गढ़ और मल्हारगढ़, धारगढ़ राजधानियों पर राज किया। इनके बाद राज्य के शासक इनके बेटे राजा अमरा बने और उन्हीं के नाम से नगर का नाम अमरथुन किया गया।

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) द्वारा बांसवाड़ा नगर की स्थापना :-

राजा बांसिया भील अपने वंश की कुलदेवी मां अंबे और शिव पार्वती की मूर्तियां चित्तौड़गढ़ से अमरथुन सन 1445 ईसवी में लेकर आए थे। जो आज भी वहां पर स्थापित हैं। राजा बांसिया भील के एक भाई और तीन बहन थी। बांसिया भील को राजा अमरा चरपोटा के बाद राज्य का शासक बनाया गया। राजा बंसिया भील अपने भाई बहनों के साथ अमर चंद नगर से निकलकर एक घने जंगलों में एक नया नगर बसाया।

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) द्वारा बांसवाड़ा नगर की स्थापना :-
राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) द्वारा बांसवाड़ा नगर की स्थापना :-

जिसका नाम उन्होंने बांसवाड़ा रखा। बांसवाड़ा नगर की स्थापना उन्होंने 14 जनवरी 1515 ईसवी को किया। और इस नगर की स्थापना करके राजा बांसिया भील ने यहां पर नवीन बस्तियों की स्थापना की जिस दिन इस नगर की स्थापना हुई थी तो उस दिन मकर सक्रांति का दिन था इसीलिए उन्होंने खुशी से तिल पपड़ी का प्रसाद पूरे नगर में बटवाया जो परंपरा आज भी चली आ रही है। आज भी मकर सक्रांति के दिन बांसवाड़ा जिले में लोग तिल पपड़ी का प्रसाद बांटते हैं।

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राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) बहुत ही निडर और साहसी थे :-

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) की प्रजा उनसे बहुत ही खुश थी उन्होंने बांसवाड़ा की सबसे ऊंची पहाड़ की चोटी पर अपने महल को बनवाया और इस ऊंची पहाड़ी से पूरे के पूरे बांसवाड़ा नगर को देखा जा सकता था। उन्होंने इतनी ऊंची पहाड़ी पर अपना किला इसलिए बनवाया था ताकि जब कोई हमलावर उन पर हमला करने के इरादे से आए तो उसे दूर से ही देखा जा सकें।

सन 1530 से पहले राजा बांसिया भील का अच्छा दबदबा था राजा बांसिया भील ने अपने राज्य में वह हर विकास का कार्य करवाये जो कि जरूरी थे। राजा बांसिया भील बहुत ही ताकतवर, बहादुर, निडर तथा साहसी थे और उनके जितने भी दुश्मन थे वह उनसे कभी भी आमने सामने की लड़ाई करने की हिम्मत नहीं करते थें, क्योंकि उन्हें पता था कि सामने से राजा बांसिया भील को नहीं हराया जा सकता। इसीलिए दुश्मनों के द्वारा छल कपट के रणनीतियां बनाई जाती थी।

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) की हत्या धोखे से की गई :-

जैसे कि आपको पहले बताया कि राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) का राज्य बहुत ही खुशहाल था इसीलिए उनके दुश्मनों की इच्छा उनके राज्य को पाने की और भी ज्यादा बढ़ती रही और धीरे-धीरे उनके दुश्मन और भी ज्यादा बढ़ गए। इसी के चलते रावल जगमाल सिंह ने राजा बांसिया भील की हत्या करने के लिए एक षड्यंत्र बनाया। बात सन 1530 के आसपास की है। उस समय राजा बांसिया भील के महल में शादी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था और इस शादी के कार्यक्रम में सभी काफी व्यस्त थे।
इसी शादी के कार्यक्रम में रावल जगमाल सिंह भी एक मेहमान बन कर आया। रावल जगमाल सिंह के साथ उसके कुछ आदमी भी थे और उन्होंने मिलकर धोखे से राजा बांसिया भील की हत्या कर दी इतना ही नहीं रावल जगमाल सिंह के द्वारा राजा बांसिया भील के सभी परिवार वालों की भी उसी समय हत्या कर दी।
जब हत्या के दौरान राजा बांसिया भील का सर धड़ से अलग किया गया, तो उनका सिर जहां पर गिराया गया था उस जगह पर आगे चलकर बिलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया गया। राजा बांसिया भील के सम्मान में ही बांसवाड़ा स्थापना दिवस 14 जनवरी को मनाया जाता है और राजा बांसिया भील की मूर्तियां भी बांसवाड़ा में अलग-अलग जगह पर स्थापित की गई हैं।

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राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) के द्वारा बनवाये निर्माण आज भी मौजूद है बांसवाड़ा में :-

राजा बांसिया भील के एक भाई थे जिनका नाम “बदिया” भील था। राजा बांसिया भील के “संवाई” और “हंगवाई” नाम की दो पत्नियां थी। पहली पत्नी संवाई के नाम से राजा ने संवाईपूरा नगर की स्थापना कि गई व दुसरी पत्नी हंगवाई के नाम से अमरथुन में हंगनगर पहाड़ का नामकरण किया गया।

राजा बांसिया भील अपनी तीन अलग-अलग बहनों के नाम से भी कुछ ना कुछ बनवाया। उन्होंने अपनी पहली बहन “बाई” के नाम से बाईतालाब का निर्माण किया गया, दुसरी बहन “डाई” के नाम से डायलाब का निर्माण किया गया। और तीसरी बहन “राज” नाम से राजतालाब निर्माण करवाया किया। राजा बांसिया भील ने सवाईपुरा में और हंगनगर पहाड़ पर किलों का निर्माण करवाया।

आज भी इन निर्माणों के अवशेष वहां पर देखे जा सकते हैं। आज तक सब इसी नाम से जाने जाते हैं। राजा बांसिया भील के वंशज आज बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, रतलाम और गुजरात के कई क्षेत्रों मे निवास करते है।

राजा बांसिया भील FAQ

राजा बांसिया भील के एक भाई थे जिनका नाम “बदिया” भील था।

राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) राजा अमरा चरपोटा (Raja Amara Charpota Bheel) के पुत्र थे।

राजा बिया चरपोटा भील (Biya Charpota Bheel) राजा बांसिया भील के दादाजी थे।

राजा बांसिया भील की तीन बहनैं थी  “बाई”, “डाई” और “राज” नाम ।

राजा बांसिया भील के “संवाई” और “हंगवाई” नाम की दो पत्नियां थी।

राजा बांसिया भील राजस्थान के प्रतापी शासक थे जिन्हें बांसवाडा शहर के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।

राजा बांसिया भील ने बांसवाड़ा नगर की स्थापना 14 जनवरी 1515 ईसवी को की थी।

रावल जगमाल सिंह के साथ उसके कुछ आदमी भी थे और उन्होंने मिलकर धोखे से राजा बांसिया भील की हत्या कर दी थी ।

राजा बांसिया भील की हत्या 1530 मे हुई थी।

राजा बांसिया भील 'भील' जाति के थे।

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